झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने पहली लड़ाई जीत ली है. तमाम खींचतान के बीच अपने पुत्र को घाटशिला उपचुनाव में एनडीए का प्रत्याशी बनवाने में सफलता हासिल कर ली है. जिस तरह से माहौल बन रहा था, उससे ऐसा लग रहा था कि घाटशिला उपचुनाव में भाजपा किसी नए उम्मीदवार को मैदान में उतारेगी, इसकी चर्चा भी थी और बातचीत भी आगे बढ़ चुकी थी. लेकिन अचानक बुधवार को चंपाई सोरेन के बेटे को भाजपा के उम्मीदवार घोषित कर दिए गए. अब झारखंड मुक्ति मोर्चा की बारी है. झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से तो स्वर्गीय रामदास सोरेन के पुत्र को टिकट दिया जा सकता है. हालांकि रामदास सोरेन की पत्नी का भी नाम चल रहा है. कांग्रेस के नेता प्रदीप बलमुचू भी घाटशिला उपचुनाव के लिए प्रयासरत थे. लेकिन इतना तो तय है कि उन्हें टिकट कांग्रेस की ओर से नहीं मिलेगा. ऐसे में उनकी नाराजगी महागठबंधन को भारी पड़ सकती है. कांग्रेस पार्टी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि सभी कांग्रेसी झामुमो के उम्मीदवार की मदद करेंगे. बता दे कि 2024 के विधानसभा चुनाव में चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन चुनाव हार गए थे. रामदास सोरेन झामुमो के टिकट पर चुनाव जीते थे. रामदास सोरेन का निधन 15 अगस्त को हो गया था. जिस वजह से यह उपचुनाव हो रहा है.
कोल्हान में भाजपा को अभी भी अपना पैर जमाना एक बड़ी चुनौती है
कोल्हान में भाजपा को अभी भी अपना पैर जमाना एक बड़ी चुनौती है. 2024 में भाजपा का कोल्हान में सुपड़ा साफ हो गया था. भाजपा ने जो सोचकर चंपाई सोरेन को पार्टी में शामिल करवाया था , वह सफल नहीं हुआ था. उनके साथ झामुमो के कोई नेता नहीं गए, उसे समय चंपाई सोरेन और लोबिन हेंब्रम भाजपा में शामिल हुए थे. लोबिन हेंब्रम चुनाव हार गए. कोल्हान में आदिवासी आरक्षित सीटों में से सिर्फ चंपाई सोरेन ही जीत पाए थे. 2024 में सरकार बनने के बाद यह पहला उपचुनाव होने जा रहा है और इसके परिणाम कई मामलों में महत्वपूर्ण होंगे.jवैसे, सूत्र बता रहे हैं कि घाटशिला उपचुनाव को लेकर महागठबंधन में शामिल दलों में खींचतान हो अथवा नहीं, लेकिन कुछ उम्मीदवार खुद को दावेदार मान रहे है. संभव है कि महागठबंधन उम्मीदवार के नामांकन से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन घाटशिला जाएं और महागठबंधन के तमाम नेताओं को एक मंच पर लाकर विवाद पर विराम लगाने की कोशिश करे. फिलहाल घाटशिला उपचुनाव झारखंड की राजनीति का केंद्र बना हुआ है.
यह उपचुनाव झामुमो-भाजपा के लिए बनेगा प्रतिष्ठा का प्रश्न
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