खरसावां के चांदनी चौक स्थित शहीद निर्मल महतो भवन में भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी और चुआड़-विद्रोह के महानायक क्रांतिवीर शहीद रघुनाथ महतो की 247 वीं शहादत दिवस कुड़मि समाज खरसावां-कुचाई ईकाई की ओर से मनाया गया गया। मौके पर पर मॉडल स्कूल खरसावां के शिक्षक जीडी महन्त ने कहा कि देश के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी एवं चुआड़-विद्रोह के महानायक क्रांतिवीर शहीद रघुनाथ महतो के आंदोलन के कारण परमानेंट सेटलमेंट 1793 से ही खुंटकट्टीदार कुड़मि रैयतों की जमीन को अहस्तांतरणीय बनायी गयी थी। उस समय एकमात्र कुड़मि को ही खुंटकट्टीदार कुड़मि रैयत कहा जाता था। इसलिए कहा जाता है कि क्रांतिवीर शहीद रघुनाथ महतो का विद्रोह जमीन बचाना और रिवेन्यू नहीं देने के लिए ही ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ हुई थी। आज राज्य के महामहिम राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने हमारे देश के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी और चुआड़-विद्रोह के महानायक को रांची स्थित प्रतिमूर्ति पर माल्यार्पण कर सम्मानित करने का काम किया जिसके लिए महामहिम जी राज्यवासियों के लिए धन्यवाद के पात्र हैं। राजकीय प्लस टू हाई स्कूल खरसावां के हिंदी शिक्षक सुनील कुमार महतो ने कहा कि क्रांतिवीर शहीद रघुनाथ महतो विद्रोह के दौरान लड़ते-लड़ते 5 अप्रैल 1778 को सिल्ली के लोटा गांव के 'गढ़तैंतेइर' में अंग्रेजों की गोली से वीरगति प्राप्त हुए थे। इस प्रकार उन्होंने देश की आजादी के लिए अंतिम सांस तक लड़ते रहें। लोटा के गढ़तैंतेइर के आसपास छः और नाला के उस उस पार कीता गांव में सात ऐसे गड़े पत्थरों की ऐतिहासिक गवाही उन शहीदों का ऐतिहासिक तथ्य आज भी विद्यमान है जिन्होंने क्रांतिवीर शहीद रघुनाथ महतो के साथ शहादत दिए थे। उपस्थित सभी लोगों ने मौके पर निर्णय लिया कि खरसावां स्थित उचित जगह पर बहुत जल्द क्रांतिवीर शहीद रघुनाथ महतो की मूर्ति स्थापित की जाएगी ।
इस कार्यक्रम के अवसर पर पंकज कुमार महतो, महेश्वर महतो, बाबलु महतो, रमेश महतो, कैलाश महतो, संजय महतो, महावीर महतो, लोकनाथ महतो, मंटू महतो, दयाल महतो, मनबोध महतो, मिलन महतो, राकेश महतो, आदि उपस्थित थे ।