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Tuesday, October 28, 2025

चाईबासा आंदोलन पर लाठीचार्ज: सरकार का अमानवीय चेहरा बेनकाब, 29 अक्टूबर कोल्हान बंद रहेगा: चम्पाई सोरेन

पत्रकार दया शंकर सिंह झारखंड के चाईबासा में सोमवार देर रात आदिवासी समुदाय द्वारा दिन में भारी वाहनों पर “नो एंट्री” की मांग को लेकर किए जा रहे शांतिपूर्ण आंदोलन पर पुलिस लाठीचार्ज ने पूरे राज्य की राजनीति को झकझोर दिया है। यह बातें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के विधायक चंपाई सोरेन ने प्रेस वार्ता में कहीं।चंपई सोरेन ने कहा की आंदोलनकारियों पर लाठियां बरसाना और आंसू गैस के गोले दागना न केवल अमानवीय, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है। आदिवासी संगठनों की मांग केवल सड़क सुरक्षा से जुड़ी थी, परंतु सरकार ने आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया। यह घटना कोई अलग मामला नहीं है। पहले भोगनाडीह में वीर सिदो-कान्हू के वंशजों पर लाठीचार्ज, फिर नगड़ी में किसानों पर पुलिस कार्रवाई, और अब चाईबासा — घटनाओं की यह श्रृंखला सरकार की आदिवासी विरोधी मानसिकता को उजागर करती है। चम्पई ने आरोप लगाया है कि “अबुआ झारखंड” का नारा देने वाली सरकार ने आदिवासी समाज को सिर्फ छलावा दिया है। विकास के नाम पर सरना स्थलों पर अतिक्रमण, खेतिहर जमीनों पर कब्जा और फर्जी मुकदमों के जरिए आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है।चाईबासा में हाल ही में संक्रमित रक्त चढ़ाने से पांच आदिवासी बच्चों की मौत के मामले में भी सरकार की भूमिका पर सवाल उठे हैं। अब राज्य भर में आदिवासी संगठन एकजुट होकर सरकार के इस दमनकारी रवैये के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। चंपई सोरेन ने कहा “जब भी हमारे अधिकारों पर हमला होगा, हम सड़कों पर उतरकर उसका जवाब देंगे। यह संघर्ष हमारी अस्मिता का है, आगे चंपई ने घोषणा की है कि बुधवार 29 अक्टूबर को कोल्हान बंद रहेगा।

चाईबासा संक्रमित खून कांड पर चंपाई सोरेन ने भी सरकार पर बोला तेज हमला, पढ़िए-क्यों कहा-कुछ तो शर्म करो !

पत्रकार दया शंकर सिंह : झारखंड के चाईबासा में बच्चों को संक्रमित खून चढ़ाने का मामला सामने आने के बाद हेमंत सोरेन की सरकार विपक्ष के निशाने पर है पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर सरकार को घेरा है. उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा है कि चाईबासा में हुई इस दुखद घटना ने झकझोर कर रख दिया है. जब भी हम लोग किसी डॉक्टर के पास या अस्पताल जाते हैं, तो स्वस्थ होने की उम्मीद एवं इस भरोसे के साथ जाते हैं कि वहां हमारे जीवन की रक्षा होगी. लेकिन चाईबासा के उन मासूम बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाने की घटना ने इस भरोसे एवं विश्वास को तोड़ दिया है.  यह लापरवाही नहीं बल्कि अपराध है.  

इसके दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए, लेकिन अफसोस राज्य सरकार द्वारा कुछ लोगों को निलंबित करके पूरे मामले की लीपापोती करने का प्रयास किया जा रहा है.  इन मासूम बच्चों के जीवन की दो-दो लाख कीमत लगाकर राज्य सरकार ने न सिर्फ अपनी असंवेदनशीलता का परिचय दिया है, बल्कि न्याय की मूल अवधारणा का मजाक बनाकर रख दिया है.

 एक सरकारी अस्पताल में सरकारी डॉक्टरों एवं कर्मचारियों द्वारा किए गए इस अपराध की जिम्मेदारी लेकर हर परिवार को कम से कम एक करोड रुपए मुआवजा एवं पीड़ित परिवार की मर्जी के अस्पतालों में आजीवन मुफ्त  इलाज की सुविधा देनी चाहिए.  इतना  गंभीर मामले में भी जिस प्रकार हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से पहले मामले को दबाने की पुरजोर कोशिश हुई, उसके बाद स्वास्थ्य मंत्री को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. लेकिन विडंबना देखिए- सीएम  और स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सोशल मीडिया पर ऐसा जताया गया, मानो वह मुआवजा देकर कोई एहसान कर रहे है.  अरे- कुछ तो शर्म करो.  बता दें कि चाईबासा सदर अस्पताल के ब्लड बैंक से बच्चों को खून चढ़ाया गया था. 18 अक्टूबर को 7 साल के एक बच्चे की रिपोर्ट एचआईवी पॉजीटिव आई. जांच में चार और बच्चों को संक्रमित पाया गया. सभी थैलेसीमिया पीड़ित थे और नियमित ब्लड ट्रांसफ्यूजन पर निर्भर थे. सरकार ने 26 अक्टूबर को एक्शन लिया, वेस्ट सिंहभूम के सिविल सर्जन एचआईवी यूनिट के डॉक्टर और एक टेक्नीशियन को निलंबित कर दिया.  प्रत्येक पीड़ित परिवार को दो-दो लाख रुपये मुआवजा और मुफ्त इलाज की घोषणा की गई है. स्वास्थ्य विभाग ने जांच के लिए छह  सदस्य समिति गठित की है.