2021 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर जातीय जनगणना की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन सौंपा था। उस समय केंद्र सरकार की ओर से तकनीकी जटिलताओं का हवाला देते हुए इस पर सहमति नहीं बन पाई थी। गृह मंत्री शाह ने इसे "कठिन कार्य" बताते हुए राज्यों से अपनी भूमिका तय करने को कहा था।
लेकिन अब, जब केंद्र ने खुद जातीय जनगणना को मंजूरी दे दी है, तो हेमंत सोरेन ने न केवल पुराने प्रयासों को फिर से उजागर किया, बल्कि यह भी जताने की कोशिश की है कि उनकी सरकार और झारखंड इस ऐतिहासिक फैसले की राह पहले ही तय कर चुके थे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हेमंत सोरेन का यह बयान सिर्फ खुशी जाहिर करना नहीं है, बल्कि यह भी दिखाता है कि इस फैसले में उनकी सरकार की पहल और दबाव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।