रांची (RANCHI) : झारखंड कैबिनेट की बैठक खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन फिर से दिल्ली रवाना हो गए. बताते चलें कि इससे पहले भी 11 जुलाई को कैबिनेट की बैठक हुई थी. मुख्यमंत्री पूर्वी क्षेत्रीय परिषद और कैबिनेट की बैठक में शामिल होने के लिए 9 जुलाई की रात रांची आए और कैबिनेट बैठक के बाद दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे.
मालूम हो कि सीएम हेमंत अपने पिता शिबू सोरेन के इलाज के लिए लगातार दिल्ली में रह रहे है. सीएम हेमंत 22 जुलाई की शाम रांची आए थे. 23 जुलाई को वे झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे। 24 जुलाई यानी कि आज सीएम ने कैबिनेट की बैठक की। उसके बाद वे फिर दिल्ली चले गए थे। ज्ञात हो कि 19 जून को दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में गुरुजी के भर्ती होने के बाद से मुख्यमंत्री 24 जून से लगातार दिल्ली में ही रह रहे हैं.www.tantinewslive24X7
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Thursday, July 24, 2025
सरायकेला खरसावां जिला उपायुक्त और जिला श्रम आयुक्त से बहुत जल्द आदित्यपुर इंटक कांग्रेस अध्यक्ष रमेश बालमुचू अपने पुरे नगर समिति के साथ मिलने जा रहे हैं कंपनी मालिकों के मनमानी के विरुद्ध
झारखंड प्रदेश के कोल्हान के स्थानीय आदिवासी मूलवासी नेता स आदित्यपुर इंटेक्स कांग्रेस के नगर अध्यक्ष रमेश बालमुचू जी का कहना है
सरायकेला खरसावां जिला के आदित्यपुर स्मॉल इंडस्टरीज एरिया में हजारों कंपनियों में लाखों लोग कार्य करते है उद्योगों के कंपनियों के मालिकों द्वारा कई कंपनियों में मजदूरों को शोषण किया जाता है । सरकार के द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी तक नहीं दिया जाता है। और तो और 8 घंटे के बजाय 12 घंटा का काम लिया जाता हैं कोई समाज सेवा यह मजदूर यूनियन से जुड़े पार्टी कार्यकर्ता मजदूरों के हित की आवाज उठाते हैं तो औद्योगिक मालिकों द्वारा उस आवाज को दबाया जाता हैं प्रशासनिक दबाव के साथ नहीं तो उसके बाद और झूठा आरोप लगा कर उस आवाज को दबाने का हर प्रयास किया जा रहा है
INTUC नगर कमिटी आदित्यपुर नगर अध्यक्ष रमेश बालमुचू के नेतृत्व में आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के कंपनियां में न्यूनतम मजदूरी दर जांच की मांग झारखंड सरकार श्रम मंत्री से कानून की सहायक से जांच कराने की सुनिश्चित किया है और रमेश बालमुचू के नेतृत्व में अभी तक मजदूरों के हित में कई औद्योगिकों में लिखित रूप से सरकार के द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी वेतन ब्यौरा 2019 से 2024 तक साल की वेतन भुगतान ब्यौरा मांग की है। और कई कंपनियों के साथ कानूनी लड़ाई मजदूरों के हित में लड़ाई लड़ी जा रही है।