Subscribe Us

Advertisement

Advertisement

Advertisement

www.tantinewslive24X7

हम सौभाग्य भारत देश और दुनिया की महत्वपूर्ण एवं पुष्ट खबरें उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

www.tantinewslive24X7

हम सौभाग्य भारत देश और दुनिया की महत्वपूर्ण एवं पुष्ट खबरें उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

www.tantinewslive24X7

हम सौभाग्य भारत देश और दुनिया की महत्वपूर्ण एवं पुष्ट खबरें उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

www.tantinewslive24X7

हम सौभाग्य भारत देश और दुनिया की महत्वपूर्ण एवं पुष्ट खबरें उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

www.tantinewslive24X7

हम सौभाग्य भारत देश और दुनिया की महत्वपूर्ण एवं पुष्ट खबरें उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

Tuesday, October 21, 2025

इंचागढ़ की विधायक सबिता महतो पर परिवार का आरोप, हर साल झंडा लगाकर करती हैं दिखावा, पर नहीं देती सम्मान

(पत्रकार दया शंकर सिंह) सरायकेला-खरसावां : तिरुलडीह गोलीकांड की वह दर्दनाक घटना जिसने झारखंड आंदोलन की नींव को हिला दिया था आज 43 साल बाद भी न्याय और सम्मान के लिए तरस रही है। 1982 में तिरुलडीह प्रखंड कार्यालय के सामने झारखंड आंदोलन के दौरान अजीत महतो और धनंजय महतो को पुलिस की गोलियों ने भले ही चुप करा दिया हो लेकिन उनके बलिदान की पुकार आज भी शासन की दीवारों से टकरा रही है। शहीद धनंजय महतो के पुत्र उपेंद्र महतो ने भावुक होकर कहा कि सरकारें बदलीं, लेकिन झामुमो की राजनीति वही है। मेरे पिता की शहादत को विधायक सबिता महतो और उनकी पार्टी ने राजनीतिक झंडे का सहारा बना दिया है। हर साल प्रतिमा स्थल पर झामुमो का झंडा लगाकर वे दिखावा करती हैं। मैंने कई बार कहा कि यहां सभी दलों के लोग श्रद्धांजलि देने आते हैं यह किसी पार्टी का मंच नहीं है मगर उन्होंने कभी नहीं सुना। उपेंद्र ने आक्रोश जताते हुए कहा कि 2007 में मंत्री बंधु तिर्की और 2009 में मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने नौकरी का वादा किया था लेकिन वह फाइलें आज भी सरकारी दराजों में धूल खा रही हैं।उन्होंने कहा कि झामुमो सरकार ने सिर्फ वादे किए निभाया कुछ नहीं। उन्होंने भावुक स्वर में कहा कि अगर आजसू के केंद्रीय महासचिव हरेलाल महतो न होते, तो आज हम सड़क पर होते। उन्होंने हमें घर दिया, रोजगार दिया और सम्मान दिया। हर साल की तरह इस बार भी 21 अक्टूबर को तिरुलडीह शहीद स्थल पर श्रद्धांजलि सभा हुईं, भाषण गूंजें, पर शहीद के परिवार की सिसकियां फिर से अनसुनी रह गईं। यह घटना सिर्फ इतिहास नहीं बल्कि झामुमो सरकार और इंचागढ़ की विधायक सबिता महतो की संवेदनहीन राजनीति का काला सच है जो दिखाता है कि झारखंड आंदोलन की शहादत को भी अब राजनीतिक मंच बना दिया गया है।

बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में टूट हो गई है. महागठबंधन से झारखंड मुक्ति मोर्चा अलग हो गया है. इसकी विधिवत घोषणा झारखंड मुक्ति मोर्चा के बड़े नेता सह मंत्री सुदिव्य कुमार ने की है. गिरिडीह में पत्रकारों से बात करते हुए मंत्री ने राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस को राजनीतिक धुर्तता का परिचायक बताया है.कांग्रेस और राजद को धुर्तता का भुगतान होगा परिणाम


(पत्रकार दया शंकर सिंह) बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में टूट हो गई है. महागठबंधन से झारखंड मुक्ति मोर्चा अलग हो गया है. इसकी विधिवत घोषणा झारखंड मुक्ति मोर्चा के बड़े नेता सह मंत्री सुदिव्य कुमार ने की है. गिरिडीह में पत्रकारों से बात करते हुए मंत्री ने राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस को राजनीतिक धुर्तता का परिचायक बताया है. उन्होंने साफ कहा है कि इसका परिणाम आगे भी दिखेगा.

मंत्री ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि बिहार विधानसभा चुनाव से झारखंड मुक्ति मोर्चा अलग हो चुकी है. मंत्री ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर 7 अक्टूबर को पटना में बैठक हुई थी. इस बैठक में वे अपने साथी विनोद पांडेय के साथ पहुंचे थे. 7 अक्तूबर से लेकर 20 अक्टूबर तक राष्ट्रीय जनता दल ने चालबाजी की और कांग्रेस ने राजद का साथ दिया.

मंत्री ने कहा कि नामांकन की तिथि आज ही समाप्त हो गई. बहुत ही अफसोस के साथ जेएमएम यह कहने को बाध्य है कि पार्टी इस चुनाव में प्रतिभागी नहीं है. बिहार के गठबंधन के अगुआ राजनीतिक दल की राजनीतिक धूर्तता ने झारखंड मुक्ति मोर्चा को नुकसान पहुंचाया. जेएमएम के बिहार में चुनाव नहीं लड़ने की आकांक्षा पर पानी फेरा है.. राजद और कांग्रेस को इस धुर्तता का परिणाम भुगतान होगा.

मंत्री ने कहा कि यदि झारखंड मुक्ति मोर्चा को सीट नहीं देना था तो इसे स्पष्ट करना चाहिए था. बिहार में महागठबंधन के अगुवा यदि पहले ही तस्वीर साफ कर देते तो जेएमएम अपने बलबूते ही मैदान में उतरती. 7 से 20 अक्तूबर तक सिर्फ चालबाजी करना यह सही नहीं है. जानबूझकर यह हरकत राजद ने की है जिसे कांग्रेस ने समर्थन दिया है.