झा मु मो किसान मोर्चा सरायकेला खरसावां जिला सचिव श्री सुभाष चंद्र महतो ने 03/09/25 को होने वाले करमा पूजा की हार्दिक बधाई सरायकेला खरसावां जिला वासियों को देते हुए करमा पूजा का महत्व बताया करमा पूजा भाई-बहन के पवित्र प्रेम के सम्मान में, अच्छी फसल और समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है. यह एक फसल उत्सव है जो प्रकृति और करम (परिश्रम) को समर्पित है, और यह आदिवासियों और झारखंड मूलवासियों और किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है. इस दिन करम पेड़ की शाखा को घर के आंगन में रोपा जाता है, और सुख-समृद्धि के लिए इसकी पूजा की जाती है करमा पूजा के मुख्य कारण
भाई-बहन का प्यार यह पर्व भाई-बहन के प्रेम और सम्मान का प्रतीक है, जहां बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और अच्छे भविष्य के लिए व्रत रखती हैं फसल और प्रकृति का उत्सव यह एक फसल उत्सव है जो प्रकृति और उर्वरता का सम्मान करता है. लोग अपने खेतों में अच्छी फसल और हरे-भरे खेतों के लिए प्रकृति माता से प्रार्थना करते हैं.करम देवता की पूजा शक्ति, यौवन और अच्छी किस्मत देने वाले करम देवता की पूजा की जाती है, इस कामना के साथ कि लोग अच्छे कर्म करें और भाग्य उनका साथ दे कल्याण की कामना लोग परिवार और समाज के कल्याण और समृद्धि के लिए भी यह व्रत रखते हैं त्योहार का महत्व आदिवासी और मूलवासियों और किसानों का पर्व यह आदिवासी और मूलवासियों और किसान समुदायों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो उनकी आजीविका और प्रकृति से उनके गहरे संबंध को दर्शाता है करम वृक्ष का महत्व:
यह वृक्ष उर्वरता, समृद्धि और शुभता का प्रतीक है, और इसी की शाखा को घरों में लगाया जाता है कैसे मनाया जाता है?
भादो मास की एकादशी को मनाया जाने वाला यह पर्व, करम पेड़ की एक शाखा को घर के आंगन में रोपने और उसकी पूजा करने के साथ शुरू होता है.महिलाएं और पुरुष रात भर करम शाखा के चारों ओर पारंपरिक गीत गाते और नृत्य करते हुए करम नाच मनाते हैं दूसरे दिन कुल देवी-देवताओं को नया अन्न चढ़ाकर ही लोग भोजन का सेवन करते हैं.