Saturday, October 4, 2025
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कुड़मी समाज ने फिर दोहराई एसटी दर्जे की मांग, रेल टेका आंदोलन की समीक्षा बैठक में लिया संकल्प
(पत्रकार दया शंकर सिंह) आदिवासी कुड़मी समाज ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग को एक बार फिर जोरदार तरीके से दोहराया। शुक्रवार को देवेंद्र सेवा सदन, कागलनगर, सोनारी में केंद्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर महतो की अध्यक्षता में रेल टेका और डहर छेंका आंदोलन की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में झारखंड, ओडिशा और बंगाल से समाज के प्रतिनिधि, बुद्धिजीवी, युवा और महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल हुए। मुख्य वक्ता मूलखूंटी मूलमानता अजीत प्रसाद महतो ने कहा कि कुड़मी समाज का एसटी दर्जा ऐतिहासिक और तथ्यात्मक रूप से सिद्ध है लेकिन सरकार लंबे समय से इसे नजरअंदाज कर रही है। रेल टेका आंदोलन में लाखों लोगों ने शांतिपूर्ण ढंग से आवाज उठाई किंतु इसके बदले समाज पर दमन किया गया और कई युवाओं व बुजुर्गों पर मुकदमे दर्ज किए गए। उन्होंने इसे शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने की साज़िश बताया। श्री महतो ने कहा कि कुड़मी समाज का संघर्ष केवल संवैधानिक अधिकार और ऐतिहासिक न्याय की लड़ाई है। विरोध और दमन ही आंदोलन की सफलता का प्रमाण है। बंगाल में पुलिस द्वारा कुड़मी गांवों में दबाव बनाना सरकार के भय को दर्शाता है और यह समाज की मजबूती का प्रतीक है। बैठक में आंदोलन को और संगठित करने, झूठे केस वापस लेने की मांग उठाने और समाज में एकता बनाए रखने पर जोर दिया गया। नेताओं ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर एसटी दर्जा बहाल करने पर जल्द कदम नहीं उठाया गया तो रेल टेका आंदोलन और उग्र रूप धारण करेगा। इस मौके पर केंद्रीय और राज्य स्तरीय कई पदाधिकारी एवं समाज के वरिष्ठजन उपस्थित थे।
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