एन डी ए की नरेन्द्र मोदी जी की सरकार को, वक्फ विधेयक जिसे उम्मीद नाम दिया है ,को पारित करने के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ । इसके पूर्व सी ए ए, धारा 370 और 35 हटाने, तीन तलाक़ के नाम पर स्थापित पुरुषों के स्वेच्छाचारी, न्याय का गलाघोंटू परम्परागत रूढ़िवादी अभ्यास को खत्म करने का कानून और अब वक्फ ने नाम पर कांग्रेस सरकार द्वारा 1995 और 2013 में मुस्लिमों के कट्टरपंथी मुल्लाओं और मुस्लिमों के धनी वर्ग के कट्टरपंथी सोच पर आधारित अभ्यास वाले कानून को बदल कर सेक्युलर और आधुनिक बनाने के लिए दृढ़ संकल्प को बहुत बहुत बधाइयाँ।
दरसल में भाजपा, एन डी ए द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में पिछले 2014 से उपरोक्त जो भी भारतीय राष्ट्र को प्रभावित करने वाले विधेयक पास कराये गये हैं वे सभी एकदम और एकमात्र सेक्युलर और भारतीय राष्ट्रवादी है।
दरसल में मोदीजी के ये सभी सेक्युलर और भारतीय राष्ट्रवादी विधेयक इसलिए सांप्रदायिक लग रहें हैं क्योंकि 1920 से महान गांधीजी और 1947 महान जवाहर लाल जी, कांग्रेस और वामपंथियों के द्वारा इस्लामिक शरिया कानून को ईश्वरीय , सार्वकालिक और सार्वभौमिक मान लिया है।
मनुष्य और संसार को सुचारू रूप से चलाने के लिए बनाये गए भौतिक, नैतिक और व्यक्ति का व्यक्ति से तथा व्यक्ति का समाज से या समाज के नाम पर बने संघ या कानूनी ईकाई के व्यवस्था देने वाले नियम और कानून कभी सार्वभौमिक और सर्वकालिक नहीं हो सकते हैं। ईश्वरीय तो हो नहीं सकते हैं
क्योंकि ईश्वर तो मनुष्य के हृदय में प्रेम, चैतन्य, सत्य और न्याय के रूप में रहता है और जिसे कठोर नियमों के रूप में बांधा नहीं जा सकता है।
भारतीय सनातन संस्कृति के चिंतन के आधार पर जो भारतीय मनीषी चिंतन और व्यवहार है उसमें इसकी झलक मिलती है जब सनातन संस्कृति कहती है कि कोई भी अवतार या पैगम्बर या सदगुरु या संत अंतिम नहीं है और सभी नैतिकता लाने के लिए बने सभी नियम और कानून स्थिति परिस्थितियों और समय के अनुसार परिवर्तित किये जा सकते हैं।
इसलिए सेक्युलर समाज बड़ा सत्य है और सेक्युलर वही होगा जो काल वाह्य हो गये कानूनों बदलता रहें।
मोद सरकार का उपरोक्त सभी कानून वास्तविक अर्थ में सेक्युलर हैं।
यहाँ एक बात की ओर ध्यान आकृष्ट करना आवश्यक है कि विभिन्न उच्च न्यायालयों तथा सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने निर्णय में स्पष्ट किया है कि दान दी जाने के बाद जो सम्पत्ति है चाहे वक्फ की हो या मंदिरों की उसका चरित्र ,व्यवस्था और संचालन सेक्युलर हो जाता है।
रवींद्र नाथ चौबे
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