जमशेदपुर के छोटे से कस्बे मुसाबनी से निकलकर विश्व मंच पर अपनी छाप छोड़ने वाली मालोती हेम्ब्रम ने बर्लिन शिखर सम्मेलन* में भारत का प्रतिनिधित्व कर हर भारतीय का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया! इस होनहार बेटी ने न केवल आदिवासी समाज की समृद्ध संस्कृति और ताकत को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया, बल्कि अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा से यह साबित कर दिखाया कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती।
मालोती की यह उपलब्धि हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो अपने जुनून और कठिन परिश्रम से असंभव को संभव बनाना चाहता है। उनके इस ऐतिहासिक कदम ने न सिर्फ़ झारखंड को, बल्कि पूरे भारत को गौरवान्वित किया है। उनके आत्मविश्वास, साहस और समर्पण की कहानी हर दिल को छू रही है।
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