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Monday, June 23, 2025

पाकुड़-बंगाल को जोड़ने वाला अंतरराज्यीय फाटक बना जानलेवा जाम पॉइंट, इलाज के लिए बंगाल जाते हैं पाकुड़वासी, जान जोखिम में डालकर करते हैं सफर।

पाकुड़: झारखंड को पश्चिम बंगाल से जोड़ने वाली अंतरराज्यीय मालपहाड़ी सड़क पर स्थित 1C और 2C रेल फाटक अब आमजन के लिए परेशानी साबित हो रहा है। रोजाना सैकड़ों की संख्या में वाहन इन गेटों से गुजरते हैं, लेकिन सुरक्षा के नाम पर यहां कुछ भी नहीं। अब तक कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, और यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। इसी चिंताजनक स्थिति को देखते हुए ईस्टर्न जोनल रेलवे पैसेंजर्स एसोसिएशन (ईजेरप्पा) हावड़ा मंडल के प्रतिनिधियों ने इन रेलगेटों का निरीक्षण किया। प्रतिनिधिमंडल में अध्यक्ष हिसाबी राय, सचिव राणा शुक्ला, सह सचिव अनिकेत गोस्वामी, सिग्नल विभाग के कनिष्ठ अभियंता रणधीर पासवान और सादेकुल आलम शामिल रहे।

स्वास्थ्य संकट में भी यही रास्ता है जीवन रेखा

पाकुड़ जिला वैसे ही स्वास्थ्य व्यवस्था के मोर्चे पर जूझ रहा है। इलाज के लिए लोगों को अक्सर पश्चिम बंगाल के लिए रवाना होना पड़ता है – और यही रास्ता उनका जीवन मार्ग बन जाता है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि जिस सड़क से मरीजों को अस्पताल ले जाया जाता है, वही सड़क मौत की ओर भी ले जा सकती है।हाथ से खुलते रेल फाटक, बिना चौकीदार, बिना अलार्म – यहां हर गुजरता वाहन किस्मत के सहारे ही पार कर रहा है। मरीजों को ले जा रही एंबुलेंसें भी जाम में फंसती हैं, जिससे अनमोल जीवन खोने का खतरा मंडराता है।

हादसों के आंकड़े डराते हैं

1C और 2C दोनों रेलगेटों पर अब तक कई छोटे-बड़े हादसे हो चुके हैं। टोटो, बाइक, ऑटो तकरीबन हर दिन किसी न किसी रूप में रेल लाइन पर दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। सबसे खतरनाक स्थिति तब बनती है जब भारी वाहन जैसे हाईवा गुजरते हैं तो बेल फाटक पर लगा हाथ संचालित फाटक से टक्कर हो जाती है।रेलवे लाइन के ऊपर से गुजरती 25 हजार वोल्ट की बिजली लाइन एक और बड़ा खतरा है। यह किसी भी वक्त जानलेवा साबित हो सकती है।

विभाग जिम्मेदारी से भाग रहा, आमजन भुगत रहा

निरीक्षण के दौरान सिग्नल विभाग के कनिष्ठ अभियंता रणधीर पासवान ने स्थिति पर असमर्थता जताते हुए कहा कि ये गेट उनके अधीन नहीं हैं। 1C रेलगेट इंजीनियरिंग विभाग के अधीन है, जबकि 2C WPDCL (पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड) की निजी मालगाड़ी लाइन के तहत आता है। यहां से प्रतिदिन औसतन 14 कोयला रेक गुजरती हैं, जिससे भीषण जाम लगता है।

ईजेरप्पा ने ROB निर्माण की उठाई मांग

संगठन के अध्यक्ष हिसाबी राय ने स्पष्ट कहा है कि यह केवल यातायात का मुद्दा नहीं, बल्कि जीवन रक्षा का सवाल है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो बड़ी जनहानि से इनकार नहीं किया जा सकता।ईजेरप्पा की ओर से रेलवे मंत्रालय एवं संबंधित विभागों से मांग की गई है कि दोनों रेलफाटकों पर अतिशीघ्र रोड ओवर ब्रिज (ROB) का निर्माण कराया जाए। इससे न सिर्फ आमजन की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि मरीजों के लिए इलाज का रास्ता भी आसान और सुरक्षित बनेगा।

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